- सीमाओं पर घुसपैठ के लिए बीएसएफ की जिम्मेदारी तय क्यों नहीं?
- पंजाब में ड्रग्स तस्करी और बंग्लादेश से लोगों की तस्करी के लिए बीएसएफ जिम्मेदार क्यों नहीं?
- यदि बीएसएफ घुसपैठ रोक पाता तो संभव है सीएबी की जरूरत ही नहीं होती।
नागरिकता संसोधन बिल यानी सीएबी को लेकर सड़क से लेकर संसद तक हंगामा है, लेकिन मूल में कोई नहीं जाना चाहता है। आखिर ऐसी नौबत आती क्यों है। सीमा पर बीएसएफ के अंदर बेईमान भरे हुए हैं और देश में नेता जो वोट की खातिर लाखों घुसपैठियों को भारत का नागरिक बना बैठे और अब नागरिकता का सवाल लेकर बबाल हो रहा है। विडम्बना है कि सरकारें और राजनीतिक दल पैरामिलिट्री बीएसएफ की नाकामियों को उजागर करने में चुप्पी साध लेते हैं। बीएसएफ भ्रष्टाचार के मामले में सबसे बदनाम है। देश की 6385.36 किलोमीटर की सीमाओं की रक्षा की जिम्मेदारी बीएसएफ की है। इसके लिए बकायदा 188 बटालियनों का गठन किया गया है। गृहमंत्री अमित शाह संसद में कह चुके हैं कि मौजूदा समय में दो लाख से भी अधिक घुसपैठिये हैं। सीधा सवाल यह है कि आखिर आए तो वो सीमाओं के रास्ते ही, तो इसके लिए बीएसएफ को जवाबदेह क्यों नहीं बनाया गया है। यह भी जांच का विषय है कि बीएसएफ के जवान ही अपने अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाते रहे हैं, लेकिन सरकारों और बीएसएफ के अधिकारियों ने ही मामला दबा दिया। यदि घुसपैठ की समस्या के मूल में जाना है तो बीएसएफ पर लगाम लगानी होगी। इस फौज के भ्रष्टाचारियों को चिह्नित करना होगा। नागरिकता संशोधन बिल की जरूरत ही नहीं होगी।