रेप: इस रात की सुबह नहीं?



- भाजपा के सबसे अधिक विधायक और सांसदों पर महिला उत्पीड़न का केस
- अपराधियों को राजनीति में मिलता है खूब संरक्षण
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब बनारस की सीट से लोकसभा चुनाव लड़ रहे थे तो उनकी बगल वाली घोसी सीट से बसपा का नेता अतुल राय चुनाव लड़ रहा था। अतुल पर बलात्कार का केस दर्ज था और पुलिस उसे तलाश रही थी। न वो पुलिस को मिला और न ही उसने कोई जनसभा की। चुनाव परिणाम निकला तो अजय राय जीत चुका था। गजब हाल है इस देश का। पुलिस को गुनाहगार नहीं मिलता और जनता बलात्कारी को, अपराधी को संसद पहुंचा देती है। उधर, रेप एक्यूज कुलदीप सेंगर को अरेस्ट करने के लिए जनता को सड़क पर उतरना पड़ा। पूर्व मंत्री चिन्मयानंद की गिरफ्तारी कितने विरोध के बाद हुई। सबसे विचारणीय बात यह है कि जब भी रेप का मामला आता है तो चोर-चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर सब दलों के नेता एकजुट हो जाते हैं। इसका कारण यह है कि हर दल में अधिकांश नेताओं की कमजोरी महिला ही है। यह सर्वविदित हो चुका है कि नेता और धार्मिक नेता दोनों ही लंगोट के कच्चे होते हैं। ऐसे में जब कोई उनके खिलाफ सड़क पर आता है तो सारे नेता एकजुट हो जाते हैं। पुलिस पर दबाव बनाते हैं। और बेदाग होने के लिए पीड़िता की जान ले लेते हैं। हैदाराबाद पुलिस ने बेशक आरोपियों को मार डाला लेकिन यह अपवाद है। संसद और विधानसभाओं में कथित बलात्कारी के खिलाफ पुलिस यह कदम उठाने की सोच भी नहीं सकती। यदि एडीआर की रिपोर्ट का आकलन करें तो मोदी की इस टीम में 37 मंत्रियों पर आपराधिक केस चल रहे हैं। भाजपा के 212 सांसद दागी हैं और भाजपा के 14 विधायकों और तीन सांसदों पर महिला उत्पीड़न के केस दर्ज हैं। देश में कुल 1100 से भी अधिक विधायक और सांसद दागी हैं।