पति नौकरी के लिए हांगकांग गया तो पत्नी को तलाक दे गया

 


क्या एकल महिला को मिलता है सहज न्याय?

- देहरादून में राज्य महिला आयोग व फ्रेंडस आफ हिमालय का एकल महिला सेमिनार



पौड़ी गढ़वाल के बरौली गांव की निवासी सुषमा बिष्ट जब अपनी व्यथा सुना रही थी तो उसकी आंखों से गंगा-जमुना बह रही थी। बरसों से अटका गुबार मीडिया के सामने फूट रहा था। उसे हर तारीख पर न्याय मिलने का इंतजार होता है, लेकिन हर बार उसे मायूसी हाथ लगती है। उसका कसूर यह है तो वह सुंदर नहीं है। पति हांगकांग गया तो उसे बदले में गोद में एक बेटी और फर्जी तलाक दे दिया। वह अपने अधिकार के लिए न्यायालय गयी। फर्जी तलाक तो साबित हो गया, लेकिन न तो सुषमा को न्याय ही मिला और न ही उसे कोई मुआवजा। सास-ससुर भी आए दिन उसे पीटते हैं। न्याय के इंतजार में नौ साल बीत चुके हैं और न्याय अब भी कोसों दूर है। सुषमा मौजूदा समय में देहरादून के मेंहूवाला में रहती है। उसका पति लगभग नौ साल पहले उसे छोड़कर हांगकांग चला गया और उसने वहां दूसरी शादी रचा ली। उसने फर्जी तरीके से सुषमा को तलाक के पेपर सौंप दिये। सुषमा ने इसे चैलेंज किया तो पता चला कि तलाक के फर्जी पेपर थे। सुषमा की इस बीच एक बेटी हो गयी। सुषमा का पति एक बार हांगकांग गया तो लौटा ही नहीं। सुषमा ने ससुराल नहीं छोड़ा और आज भी अदालत के चक्कर काट रही है। डीएम के सहयोग से उसकी बेटी को आईटीबीपी केवी में दाखिला तो मिल गया लेकिन फीस जुटाना भी मुश्किल है। वह रोते हुए कहती है कि सास-ससुर भी उसे पीटते हैं। लेकिन उसके पास कोई सहारा नहीं है तो वह कहां जाएं? अल्मोड़ा की हीरा देवी की कहानी अलग ही है। दलित होते हुए उसने एक मुस्लिम से शादी कर ली। शादी के बाद उसका एक बेटा और बेटी है। इस बीच पति की मौत हो गयी तो परिजनों ने उसका मकान किसी व्यक्ति को बेच दिया। अपना हक लेने के लिए वह भी पिछले दस वर्ष से अदालत के चक्कर काट रही है। देहरादून के जिला पंचायत सभागार में राज्य महिला आयोग द्वाराएकल महिलाओं की दशा पर आयोजित सेमिनार में इस तरह के कई मामले सामने आए।  ऊधम सिंह नगर के दिनेशपुर की समाजसेविका हीरा जंगपानी का कहना है कि उनके पड़ोस में 12 साल की लड़की के साथ एक 60 साल के फर्नीचर दुकानदार ने कई बार रेप किया। इस कारण उसका गर्भ ठहर गया। अब वह बच्ची छह माह की गर्भवती है, हालांकि पोक्सो के तहत दुकानदार गिरफ्तार हो चुका है लेकिन विधिक प्राधिकरण उसे फौरी राहत भी नहीं दे रहा है। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की जज नेहा कुशवाहा का कहना है कि उनके पास रोजाना औसतन 10 केस आ रहे हैं। इनमें से कुछ का निपटारा हो जाता है लेकिन कुछ केसों में समय लगता है।