मोदी सरकार ने गांधी को फिर मार डाला



- नागरिकता संशोधन बिल भारत के संविधान के खिलाफ
- देश को हिंसा की आग में झोंकने को तैयार हैं सरकार 
विभाजन के समय हरियाणा के मेवात जिले के घासेड़ा गांव में गांधी जी सड़क पर लेट गये थे। उन्होंने हजारों मुस्लिम मेवों को कहा कि यदि तुम पाकिस्तान जाना चाहते हो तो मेरे छाती पर चढ़कर जाओ। परिणाम, मेव इस देश में ही रह गये। गांधी ने मुस्लिमों को अंगीकृत किया। इसकी भड़ास नाथूराम गोडसे ने गांधी के शरीर में गोली मार कर निकाली पर गांधी के दर्शन, विचारों को वह नहंी मार सका। लेकिन मोदी सरकार ने नागरिकता संशोधन बिल लाकर गांधी के दर्शन, विचारों और अहिंसा को ही मार दिया। सही मायने में गांधी की हत्या अब हुई है। मोदी सरकार के अहम और मुस्लिमों के खिलाफ हिन्दुओं को भड़काने की यह कोशिश संविधान की मूल भावना के प्रति है। आप इतिहास उठाकर देख लें, तो भारत का समृद्ध और गौरवशाली इतिहास रहा है कि हमनें सबको शरण देने का काम किया है बिना जाने कि उसका मजहब, जाति और स्थान कौन सा है? वोटों के धु्रवीकरण के लिए मोदी सरकार ने देश में एक ऐसे माहौल तैयार करने का काम किया है कि यहां आदमी और आदमी के बीच खाई पैदा हो गयी है, वैसा ही अविश्वास पैदा हो गया है जैसा 1984 के दौरान इंदिरा गांधी हत्याकांड के बाद था। 
इतिहास से सीखे भाजपा सरकार 
ये आज से नहीं बल्कि सदियों से भारत की मूलभूत अवधारणा का आधार रहा है. जब पारसी पांचवी और आठवीं सदी में परसिया से प्रताड़ित हो कर भागे थे (जो आजकल ईरान, इराक है), तो वो गुजरात पहुंचे थे। वो लोग संजन में आकर उतरे थे और वहां के राजा राणा जाधव ने उनको पनाह दी थी. इसके बाद वो भारत की फिजां में घुलमिल गए। इस तरह के इतिहास में अनेकों उदाहरण हैं। जहां भारत ने अपना दिल और दिमाग संकीर्ण नहीं किया और एक व्यापकता और दरियादिली दिखाई। गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में नागरिकता संशोधन विधेयक पेश करते हुए गलत बयानबाजी और तथ्य पेश किये। मेरा मानना है कि ये बिल संविधान की धारा 14, 15, 21, 25 26 का उल्लंघन है।