आंगनबाड़ी वर्कर लड़की का पेट देखकर खिलखिला उठी?
आखिर रेप होने के बाद महिला के साथ क्यों बार-बार होता है सरकारी रेप?
ऊधमसिंह नगर के दिनेशपुर की एक 12 साल की नाबालिग ने कल रात हल्द्वानी के सरकारी अस्पताल में एक पुरुष को जन्म दिया। दोनों जच्चा-बच्चा स्वस्थ हैं। इन नाबालिग के साथ एक 60 साल के बुजुर्ग दुकानदार जिसे वो दादा कहती थी, पहली बार टाफी का लालच देकर और फिर धमका कर बार-बार रेप किया। परिजनों को तब पता चला जब लड़की ने पेट दर्द की शिकायत की ।तब तक गर्भ में ठहरे भ्रूण को अबोर्ट नहीं किया जा सकता था। बस, पहले पुलिस और फिर समाज ने इस मासूम के बार-बार कपड़े उतारे। बिना यह एहसास किये कि आखिर इस नन्ही सी बेटी का कसूर क्या है? समाजसेविका हीरा जंगपानी बताती हैं कि जब वो उस नाबालिग को लेकर एएनएम के पास गयी तो एएनएम ने कहा कि इसका स्वास्थ्य कार्ड नहीं बन सकता है क्योंकि इसके गर्भ में पल रहे बच्चे का बाप का नाम नहीं है? आंगनबाड़ी वर्कर तो उसे देखते ही खिलखिला उठी। हद है, इस बेचारी की न तो गोदभराई हुई, न उसे पौष्टिक आहार देने की बात हुई और न ही उसे टीका लगा। हीरा जंगपानी की लड़ाई से बच्ची को पौष्टिक आहार और टीकाकरण आदि हुआ। निर्भया फंड बेकार चला जाता है। इस फंड के तहत पीड़िता को मुआवजा मिलना चाहिए था, लेकिन नहीं मिला। अब मुआवजा देने का अधिकार जिला विधिक सेवा आयोग को है, लेकिन आयोग ने तीन महीने में भी इस मासूम को जो स्वयं बच्ची है, बच्चा पैदा करने के लिए मुआवजे की धनराशि समय पर उपलब्ध नहीं की। यदि उसकी मौजूदा समय में मदद होती तो उसे अधिक मदद मिलती। आज भी हम कितने निष्ठुर हैं, हमारी मानसिकता कैसी है कि हम रेप विक्टिम के साथ बार-बार रेप करने की कोशिश करते हैं और इसमें सबसे अधिक क्रूर महिला ही होती है। महिला ही महिला की दुश्मन क्यों? रेप पीड़िता को लेकर कब बदलेगी हमारे समाज की मानसिकता?
- हल्द्वानी अस्पताल में पैदा हुआ बच्चा।