- पेस्टीसाइट और फर्टिलाइजर का अंधाधुंध हो रहा उपयोग
- बिना सेफ्टी उपकरणों के ही कर रहे किसान छिड़काव
चैंकाने वाली खबर है कि जौनसार के कुछ किसानों ने फसलों के उत्पादन क्षमता को बढ़ाने के लिए बड़ी मात्रा में फर्टिलाइजर और पेस्टीसाइड का इस्तेमाल कर रहे हैं। इस बेल्ट में परम्परागत खेती को छोड़कर टमाटर, आलू और अन्य नकदी फसलों का उत्पादन किया जा रहा है। इनके इस्तेमाल को लेकर कृषि वैज्ञानिकों में चिन्ता व्याप्त है कि इससे यहां की जमीन और भूजल तो जहरीला हो ही रहा है लेकिन बिना मास्क पहने और सेफ्टी नियमों को दरकिनार कर किसान इस जहर का उपयोग अत्याधिक कर रहे हैं। इससे कैंसर और अन्य जानलेवा बीमारी हो सकती है। सोशल इंटरप्रियोनेर दिनेश कंडवाल का कहना है कि पहाड़ की भूमि में जो न्यूटेंट होते हैं वो फर्टिलाइजरों के अत्याधिक इस्तेमाल से खत्म हो रहे हैं। उनके मुताबिक पेस्टीसाइड और फर्टिलाइजर के उपयोग से भले ही उत्पादकता बढ़ गयी हो लेकिन उत्पादों की गुणवत्ता निरंतर घट रही है और जिस जैविकता के लिए उत्तराखंड जाना जाता है, उसको निकट भविष्य में खतरा पैदा हो सकता है। कृषि वैज्ञानिक डा. बीएम डबराल का कहना है कि खेती में फर्टिलाइजरों के अधिक इस्तेमाल से जमीन, पानी और हवा सभी दूषित होते हैं। उनके अनुसार पेस्टीसाइड का छिड़काव करते वक्त किसानों को हाथों में ग्लब्स और मुंह पर मास्क लगाना चाहिए। ये कैमिकल किसान के लिए भी खतरनाक साबित हो सकते हैं।
गौरतलब है कि कीटनाशक एक ऐसा पदार्थ या पदार्थों का मिश्रण होता है जोकि नुकसान पहुंचाने वाले कीटों को नियंत्रण करने या पशु या मानव रोगों, वनस्पति और जीवो को प्रभावित करने वाले रोगों को नियंत्रित करने हेतु किया जाता है.
... तो चकराता-त्यूणी-उत्तरकाशी होंगे कैंसर उत्पादन हब!