- पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज के पास पर्यटन को लेकर न विचार न विजन
- विदेशों व राज्यों से नकल कर उठा लेते हैं योजना
पर्यटन और संस्कृति मंत्री सतपाल महाराज पिछले तीन साल से विदेशों और अन्य राज्यों के विचारों और नीतियों को चुरा कर लाते हैं और प्रदेश में थोपने का प्रयास करते हैं। पिछले तीन साल में सबसे बड़ा सैटबैक पर्यटन के क्षेत्र में ही रहा है। पर्यटन नीतियां आधी-अधूरी हैं। पर्यटन सर्किट केवल घोषित हुए हैं। 13 जिले, 13 डिस्टीनेशन कहां हैं? अंडर द स्काई योजना कहां है? रामायण सर्किट कहां है? चारधाम के पैदल मार्ग घूमने की खोज होनी थी, वो कहां है? होम स्टे किस हाल में है? पर्यटन काॅरिडोर बनाने की योजना कहां है? धरातल पर कहीं भी नहीं। त्रिवेंद्र सरकार बिल्कुल नकलची बंदर की तर्ज पर काम कर रही है। यदि केंद्र कोई योजना न बनाए तो त्रिवेंद्र सरकार भूखों मर जाएगी। ले-देकर धार्मिक पर्यटन हो रहा है तो उस पर भी सरकार की तिरछी नजरें हैं। माता वैष्णो देवी मंदिर की तर्ज पर श्राइन बोर्ड बनाना चाहते हैं। यह फैसला नकलची बंदर नहीं है तो क्या है? अविवेकी और अदूरदर्शी फैसला है। वैष्णो देवी एक मंदिर है। यहां चार धाम हैं और चारों धामों के बीच की दूरी कई सौ किलोमीटर है। चारों धामों की भौगोलिक परिस्थितियां भी अलग हैं। उनकी समस्याएं अलग हैं। उनके हक-हकूक अलग हैं। वहां की सुविधाएं अलग हैं। ये कितनी अजीब बात है कि बिना होमवर्क के प्रदेश के नौकरशाह भी हामी भर देते हैं। दिलीप जावलकर को पहाड़ों की, यहां की संस्कृति यहां के तीर्थपुरोहितों की कितनी समझ है। कोई बूझे? श्राइन बोर्ड का गठन पूरी तरह से असफल साबित होगा।
श्राइन बोर्ड - त्रिवेंद्र सरकार नकलची बंदर