-आंदोलनकारी जयदीप सकलानी और जयदेव भट्टाचार्य को सलाम।
- मुजफ्फरनगर कांड के पीड़ितों की मदद करने वाले ग्रामीणों को किया सम्मानित
विडम्बना है कि हमें हमारे उन सहयोगियों को सम्मानित करने में 25 साल लग गये जिन्होंने 1-2 अक्टूबर 1994 की उस काली रात को राज्य आंदोलनकारियों की मदद की थी। जी हां, मैं बात कर रहा हूं रामपुर और उसके आसपास के गांवों की। आंदोलकिसी नेता ने नहीं, ग्रामीण महावीर शर्मा ने दी थी शहीद स्थल को जमीन दान
-आंदोलनकारी जयदीप सकलानी और जयदेव भट्टाचार्य को सलाम।
- मुजफ्फरनगर कांड के पीड़ितों की मदद करने वाले ग्रामीणों को किया सम्मानित
विडम्बना है कि हमें हमारे उन सहयोगियों को सम्मानित करने में 25 साल लग गये जिन्होंने 1-2 अक्टूबर 1994 की उस काली रात को राज्य आंदोलनकारियों की मदद की थी। जी हां, मैं बात कर रहा हूं रामपुर और उसके आसपास के गांवों की। आंदोलनकारियों ने पुलिस के बर्बरता और अमानवीय कृत्यों के बाद इन्हीं गांवों में शरण ली थी। मददगारों में मुस्लिम समुदाय के लोग भी थे। रामपुर के महावीर शर्मा और अन्य ग्रामीणों ने पुलिस की बर्बरता के शिकार हुए लोगों की मरहम पट्टी की। उन्हें आश्रय दिया, भोजन और कपड़े भी दिये। मुस्लिम समुदाय ने गन्ने के खेतों में पुलिस के भय से छिपे हुए लोगों को आश्रय दिया और उनके लिए भोजन तैयार किया। मुजफ्फरनगर कांड के इस अछूते पहलू पर किसी का ध्यान नहीं गया। आंदोलनकारी जयदीप सकलानी और प्रख्यात सिनेमाटोग्राफर जयदेव भट्टाचार्य ने पहल करते हुए रामपुर गांव गये और बकायदा एक फिल्म भी बना लिए। यह उत्तराखंड के लिए एक अहम दस्तावेज हो सकती है। इसमें उस दिन की घटना का प्रत्यक्षदर्शियों का जिक्र है। जिन लोगों ने हमारे आंदोलनकारियों को आश्रय और मदद दी। उन्हें सम्मानित करने का अनूठा काम किया जनसंवाद समिति ने। कल टाउनहाॅल में आयोजित एक समारोह में महावीर शर्मा और रामपुर गांव की कई महिलाओं को सम्मानित किया गया। सबसे अहम बात यह है कि अब तक हम उत्तराखंडी समझते रहे कि रामपुर तिराहे पर शहीद स्थल के लिए उत्तराखंड के एक मोटे लाला बदमाश नेता ने जमीन दी, लेकिन इस स्थल के एक बीघा जमीन महावीर शर्मा ने दान दी। और कल भरे स्टेज में बुजुर्ग ने अपने पोते को मंच पर बुलाया और कहा कि यदि किसी भी तरह की मदद उत्तराखंड के लोगों को चाहिए तो मेरे बाद मेरा उत्तराधिकारी पोता उसे पूरा करेगा। यह बहुत ही भावुक पल था। जब हमारे नेता और उत्तराखंड के लोग अपने ही प्रदेश में लूट-खसोट कर रहे हैं तो ऐसे में महावीर शर्मा जैसे लोग इंसानियत और भगवान के होने का भरोसा दिला रहे हैं। सच, इस खोज के लिए आंदोलनकारी जयदीप भाई और जयदेव भट्टाचार्य की पहल को सलाम।
नकारियों ने पुलिस के बर्बरता और अमानवीय कृत्यों के बाद इन्हीं गांवों में शरण ली थी। मददगारों में मुस्लिम समुदाय के लोग भी थे। रामपुर के महावीर शर्मा और अन्य ग्रामीणों ने पुलिस की बर्बरता के शिकार हुए लोगों की मरहम पट्टी की। उन्हें आश्रय दिया, भोजन और कपड़े भी दिये। मुस्लिम समुदाय ने गन्ने के खेतों में पुलिस के भय से छिपे हुए लोगों को आश्रय दिया और उनके लिए भोजन तैयार किया। मुजफ्फरनगर कांड के इस अछूते पहलू पर किसी का ध्यान नहीं गया। आंदोलनकारी जयदीप सकलानी और प्रख्यात सिनेमाटोग्राफर जयदेव भट्टाचार्य ने पहल करते हुए रामपुर गांव गये और बकायदा एक फिल्म भी बना लिए। यह उत्तराखंड के लिए एक अहम दस्तावेज हो सकती है। इसमें उस दिन की घटना का प्रत्यक्षदर्शियों का जिक्र है। जिन लोगों ने हमारे आंदोलनकारियों को आश्रय और मदद दी। उन्हें सम्मानित करने का अनूठा काम किया जनसंवाद समिति ने। कल टाउनहाॅल में आयोजित एक समारोह में महावीर शर्मा और रामपुर गांव की कई महिलाओं को सम्मानित किया गया। सबसे अहम बात यह है कि अब तक हम उत्तराखंडी समझते रहे कि रामपुर तिराहे पर शहीद स्थल के लिए उत्तराखंड के एक मोटे लाला बदमाश नेता ने जमीन दी, लेकिन इस स्थल के एक बीघा जमीन महावीर शर्मा ने दान दी। और कल भरे स्टेज में बुजुर्ग ने अपने पोते को मंच पर बुलाया और कहा कि यदि किसी भी तरह की मदद उत्तराखंड के लोगों को चाहिए तो मेरे बाद मेरा उत्तराधिकारी पोता उसे पूरा करेगा। यह बहुत ही भावुक पल था। जब हमारे नेता और उत्तराखंड के लोग अपने ही प्रदेश में लूट-खसोट कर रहे हैं तो ऐसे में महावीर शर्मा जैसे लोग इंसानियत और भगवान के होने का भरोसा दिला रहे हैं। सच, इस खोज के लिए आंदोलनकारी जयदीप भाई और जयदेव भट्टाचार्य की पहल को सलाम।
किसी नेता ने नहीं, ग्रामीण महावीर शर्मा ने दी थी शहीद स्थल को जमीन दान