एक मच्छर से हार गयी त्रिवेंद्र सरकार 


- अब विधायक ममता राकेश डेंगू का शिकार!
- डेंगू से अस्पतालों का 100 करोड़ का कारोबार
भगवानपुर की विधायक ममता राकेश को डेंगू की आशंका है। वह इन दिनों देहरादून के अस्पताल में भर्ती है। देहरादून में डेंगू का इस बार कहर रहा है। पूरी प्रशासनिक मशीनरी ने डेंगू के मच्छर के आगे घुटने टेक दिये। सबसे अहम बात यह है कि डेंगू के कारण अस्पतालों, लैब, मेडिकल स्टोरों व ब्लड बैंक की चांदी रही। डाक्टरों की माने तो एक डेंगू मरीज  पर औसतन 25 हजार से एक लाख रुपये का खर्च आया। इस हिसाब से 20 हजार से भी अधिक लोगों को डेंगू का डंक लगा। दस हजार मरीज सरकारी अस्पतालों ने कबूले जबकि सीएमआई, इंद्रेश, सिनर्जी, मैक्स, हिमालयन में जो मरीज आए वो अलग। 
दिल्ली सरकार से सबक ले त्रिवेंद्र सरकार 
वर्ष 2016 में दिल्ली में18000 से अधिक डेंगू के मामले सामने आए। जबकि देहरादून में उस वर्ष महज दो हजार केस थे। 2019 में दिल्ली में डेंगू के एक हजार मामले सामने आए जबकि देहरादून में उलट यह संख्या 20 हजार तक पहुंच गयी। दिल्ली सरकार ने डेंगू से लड़ने के लिए पूरे संसाधनों का इस्तेमाल किया। समय से जागरूकता कैंप लगाए। नियम के अनुसार फागिंग की गई। मच्छर के खिलाफ युद्ध किया गया और परिणाम सबके सामने है। यह वैज्ञानिक तथ्य है कि डेंगू का मच्छर 25 से 30 डिग्री सेल्सियस तक पनपता है। उस दौरान ही लोगों को जागरूक करना चाहिए । फागिंग किस समय और कितनी मात्रा में हो, स्कूली बच्चों को कैसे जागरूक करें और सफाई व्यवस्था के लिए निकाय क्या करें? सब तय होना चाहिए। देहरादून में 100 वार्ड हैं और निगम के पास मात्र छ मशीनेेेेे थी। जो किराए पर ली गई, उसमें दवाई डाली गयी या नहीं। गलियों में फागिंग हुई या नहीं। कुछ पता नहीं। यदि जांच हो तो पता चले कि फागिंग की दवाई और छिड़काव में भी गोलमाल हुआ है। कुल मिलाकर सत्य यह है कि त्रिवेंद्र सरकार एक मच्छर के आगे हार                 गयी और यदि अगले वर्ष भी सरकार नहीं जागी तो डेंगू का फैलाव और हो सकता है। इस साल 100 करोड़ की चपत लगी है तो यह चपत अगली बार कई गुणा बढ़ भी सकती है।