बड़े संपाादको, इस्तीफा दो! लीड स्टोरी गलत छाप दी



वाह, शाबास भगतदा, खूब किया, प्रदेश का नाम रोशन किया।
- एनडी तिवारी ने मालिश करवाई, आपने मालिश की।
- सुनो दिल्ली वालो, राज्यपाल हों तो उत्तराखंड जैसे।
हमारी संस्कृति और संस्कारों में है कि किसी मृत व्यक्ति की निंदा नहीं करनी चाहिए। लेकिन अब जब संस्कार और संस्कृति बची ही नही ं तो मैं कुछ पुराने मुर्दे उखाड़ रहा हूं। विकास पुरुष रहे एनडी तिवारी ने हैदराबाद के राजभवन में जबरदस्त नाम कमाया। बेचारों का कसूर ये था कि बुढ़ापे में हड्डी मजबूत कराने के लिए मालिश करा रहे थे। राज्यपाल की कुर्सी गंवानी पड़ी। लेकिन एनडी ही एकमात्र ऐसे गर्वनर थे जिन्हें इसके बाद पूरे देश का बच्चा-बच्चा जान गया था। अब लोकसभा चुनाव में अपने हरदा के साथ एकलू गूणी-बांदर का खेल खेलने वाले भगतदा महाराष्ट्र में प्रदेश का नाम रोशन कर रहे हैं। इतिहास में उनका नाम पता नहीं कौन से अक्षरों में लिखा जाएगा, लेकिन यह तय है कि उन्होंने प्रिंट मीडिया के घाघ संपादकों को धूल चटा दी। रात दो बजे जो हैंडिंग दी वो सुबह गलत साबित हो गयी। छोटी-छोटी गलतियों पर पत्रकारों से इस्तीफा मांगने वाले बड़ेे संपादकों को लीड स्टोरी गलत होने पर भी लाज नहीं आई और एक भी संपादक ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया। यह भगतदा का ही कमाल है कि उन्होंने देश के सभी बड़े संपादकों को एक दांव में धूल चटा दी। महाराष्ट्र की यह घटना राजनीतिक रूप से ही नहीं पत्रकारिता के इतिहास में भी दर्ज होगी। भगतदा आपने ठीक किया। संविधान वैसे भी लोकतंत्र में कोई मायने नहीं रखता है। जिसकी लाठी उसकी सत्ता। आपने तो पार्टी और अपने नेताओं की मालिश कर यह पद हासिल किया तो ठीक ही किया, नमक का हक अदा किया। नमक की इस हक अदायगी पर आपको शाबासी तो बनती ही है।